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Mrs. Kothari- एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग-1
करुणा का आना


रिया अपने कमरे में बैठी, ऑनलाइन अपने लिए कुछ ड्रेसेज़ देख रही थी। तभी वह करुणा चाची की आवाज़ सुनती है और बुदबुदाती है, -"ओफ्फहो! आ गई फिर से करुणा चाची, फिर से अपने रिश्तेदारों के बारे में डींगे हांकने..। अब दो घंटे के पहले बिना चाय नाश्ते के यहाँ से हिलेंगी नही.."

करुणा, रिया के पिताजी की दूर की रिश्तेदार है। एक ही शहर में रहने के कारण उनका रिया के घर कुछ ज़्यादा ही आना जाना है। करुणा अपने पैसे वाले रिश्तेदारों की बातें बढ़ा चढ़ा कर रिया के यहाँ आ कर बताती है। जो कि रिया को बिल्कुल भी पसंद नही है।

रिया, करुणा के आने की आवाज़ सुन कर बुदबुदा ही रही थी कि तभी रिया की माँ रिया को आवाज़ लगाती है, -"अरे रिया बेटा ज़रा बाहर तो आना। देखो.. तुम्हारी करुणा चाची आई हैं।"

"जानती थी मैं.. अभी मुझे ही बाहर जा कर करुणा चाची के लिए चाय बनानी होगी। क्या यार.. ये मम्मी भी ना.." -रिया चिड़चिड़ाती हुई अपने पलंग से उठ कर बाहर निकल कर ड्राइंग रूम में आती है।

"अरे रिया बेटा! जा अपनी करुणा चाची के लिए चाय बना ला.." रिया की माँ रीना रसोई की तरफ़ इशारा करती हुई कहती हैं।


"क्या मम्मी... अभी मैंने नेल पॉलिश लगाया हैं। चाय बनाने में खराब हो जाएगा।" -रिया अपनी माँ को नख़रे दिखाती हुई कहती है।

करुणा, रिया को देख कर उसका हाल चाल पूछती है।- "अरे रिया बेटा... कैसी हो..?"

"अच्छी हूँ चाची जी" -रिया मुस्कुराते हुए बोलती है।
"तू तो दिन पर दिन और भी खूबसूरत होती जा रही है। हाँ.. होना भी चाहिए.. अब तो तू ग्रेजुएट हो गई। अब तो तेरे हाथ पीले करने का समय आ गया है। क्यों है ना रीना.." -करुणा अपने आगे की बात बढ़ाती हुई बोलती है।

यह सुन कर रीना करुणा को टोकती हुई कहती है, -"अरे नही नही दीदी.. अभी तो हमने इसकी शादी का सोचा भी नही है। अभी इसकी उम्र ही क्या है.. हम चाह रहे हैं कि यह किसी सरकारी नौकरी की तैयारी करे। एक बार जो सरकारी नौकरी लग गई तो एक से बढ़ कर एक लड़के मिलेंगे। है न दीदी..!" 

करुणा, रीना की बातों में सहमति जताती है।

"ठीक है दीदी आप बैठिए! मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ।" -रीना सोफ़े से उठ कर रसोई में जाने लगती है।

"क्या मम्मी.. आपको तो पता है ना मुझे फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स करना है। किसी सरकारी नौकरी की तैयारी नही करनी।" -रिया मुँह लटका कर अपनी माँ से कहती है।

"तुझसे तो बहस करना ही बेकार है।" -रिया की माँ इतना कह कर चाय बनाने के लिए रसोई में चली जाती है।

"रिया बेटा! आ तू बैठ मेरे पास।" -करुणा, रिया को पुचकारती हुई बोलती है।
रिया (खुद में बड़बड़ाती हुई करुणा के बगल में जा कर बैठती है), -कहाँ फंस गई मैं.."

रिया और करुणा बातों में लग जाते हैं।
रिया करुणा को छेड़ती हुई कहती है, -"और चाची जी.. अगर कोई पैसे वाला लड़का मिल जाए जिसके पास अरबों की प्रॉपर्टी हो तो मैं उससे झट से शादी कर लूँगी। अगर वह मुझसे 25-30 साल बड़ा भी हुआ तो मुझे कोई फर्क नही पड़ेगा।"

"चल हट बदमाश! तेरी ऐसी मज़ाक करने की आदत कब जाएगी।" -करुणा, रिया के गाल पकड़ कर पुचकारती हुई बोलती है।

तभी रीना चाय ले कर आ जाती है।

रिया की माँ ने रिया की यह बात सुन ली थी और उसे गुस्से भरी नज़रों से देख रही थी। 

रिया ने जब अपनी माँ को देखा तो उसे यह समझ आ गया था कि अब ज्वालामुखी फटने वाला है। पर उसकी माँ ने उसे करुणा के सामने कुछ नही बोला।
उसने वहाँ से चले जाना उचित समझा। -"ठीक है चाची जी! आप चाय पीजिए। अब मैं अपने कमरे में जाती हूँ।" 

करुणा मुस्कुराती हुई बोलती है, -"हाँ, ठीक है बेटा जा!"
इतना कह कर रिया अपने कमरे में चली जाती है।

और करुणा और रीना बातों में व्यस्त हो जाते हैं।



आगे की कहानी में क्या होता है.. यह जानने के लिए जुड़े रहिए मेरे इस कहानी के अगले भाग के साथ।
©स्वाति चरण पहाड़ी

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10 Comments

hema mohril

22-Jan-2025 02:53 PM

awesome

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 04:03 PM

v nice

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Abhinav ji

15-Jul-2023 07:59 AM

Nice 👍

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